निशा और पिंकी सबरी नगर बस्ती में रहती हैं और मुस्कान के जीवन शिक्षा पहल स्कूल में क्लास 5 में पढ़ती हैं। लॉक-डाउन के चलते, जब स्कूल आना बंद हो गया, तो उन्होंने अपने आस पास की घटनाएं, अपने रोज़ के अनुभव, और लोगों की बातें सुनकर, तरह तरह की न्यूज़ देखकर कोरोना के बारे में समझ बनाने की कोशिश, यह सारी बातों को अपनी डायरी में लिखना शुरू किया।
उनकी डायरी के कुछ पन्ने, अनुमति से, यहाँ आपके साथ साँझा कर रहे है। बस्ती में हो रहीं बातें और हर दिन की दिक्कतों को वो अपनी तरह से कैसे समझती हैं, यह उसका एक नमूना है।
Date – 8.5.2020
जब से ये कोरोना वायरस फैला है तब से मुझे अच्छा नहीं लग रहा है| क्योंकि तब से हम कुछ भी अच्छा खा नहीं पा रहे हैं| कुछ लोग सब्ज़ी बेचने आते हैं पर हम खरीद नहीं पाते क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं हैं|
कोरोना वायरस से कितने ही लोग मर गए हैं| जिनको भी ये हो जाता है वो दुसरे लोगों को फैला देते हैं| इस कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है|
मोदी सरकार ने लॉक डाउन किया है पर बहुत लोग लॉक डाउन नहीं मानते| लोग घर से बाहर निकलते हैं तो उनको पुलिस पकड़ती है| फिर भी लोग निकलते हैं हमारे शबरी नगर में ये रोज़ ही होता है| रोज पुलिस आती है और सब को घर के अन्दर भेजती है|
जब सब्जी का ठेला लगता है तो बहुत भीड़ लग जाती है| भीड़ देखकर पुलिस की गाड़ी आ जाती है|
पिंकी , कक्षा – 5
Date – 1.5.2020
सब बच्चों को अपना स्कूल याद आ रहा है| मेरा भी स्कूल जाने का बहुत मन करता है| जी भरकर पढ़ाई करने का मन करता है| पर क्या करें लॉक डाउन के चक्कर में जा ही नहीं पा रहे| हमारे स्कूल की दो महीने से छुट्टी लगी है| हमें हमारा स्कूल, टीचर बच्चे और वहाँ के भैया दीदी बहुत याद आते हैं| उन्हें देखने का बहुत मन करता है|
अभी काम भी नहीं है और पैसे भी नहीं, सब्जियां और दूकान का सब सामान महंगा हो गया है| मैं तो बाहर नहीं जाती हूँ| कभी कुछ चीज़ की जरुरत होती है तो चली भी जाती हूँ|
घर में रहकर मैं पढ़ाई करती हूँ, क्योंकि जब विद्यालय खुलेंगे और टीचर पूछेगी कि लॉक डाउन में तुमने क्या किया? तो फिर मैं जवाब दे दूंगी कि “ मैंने सब लिखा”| मैं सोचती हूँ कि जल्दी कोरोना वायरस ख़त्म हो जाए|
क्योंकि इस कोरोना वायरस के कारण हम सबके गुरुकुल बंद हो गये हैं|
निशा जगत, कक्षा -5
Date – 3.5.2020
मेरी मम्मी भी काम पर नहीं जाती| अगर काम चालू होता तो भी कभी कभी ही जा पाती क्योंकि वेन, बस ऑटो भी तो नहीं चल रहे कैसे जाती! पास होता तो चली जाती पर काम तो नीलबड़ में है| पता नहीं किसी-किसी का घर बार कैसे चलता होगा!
कोरोना वायरस जल्दी से ख़त्म हो जाए फिर मैं रोज विद्यालय जाऊंगी और मन लगाकर पढूंगी| क्योंकि मैं जब स्कूल जाती थी तो महक के साथ बहुत मस्ती करती थी| जब डॉली दीदी के पढ़ाने का टाइम होता था तब हम पढ़ते थे और शशि दीदी के पढ़ाने के टाइम में भी पढ़ते थे और मेघा दीदी का टाइम आता था तब भी पढ़ते थे पर जब राम भैया का टाइम आता था तब बहुत मस्ती करते थे क्योंकि राम भैया हमें पढ़ाते भी हैं और हंसाते भी हैं|
कोरोना वायरस के कारण लोग घर से बाहर नहीं निकलते, जहां पर आस पास घर पर सील लग जाता है| और लोग समाचार में कहते हैं कि घर में रहें और थोड़ा धूप में खड़े हो जाएँ क्योंकि धूप हमारे लिए बहुत जरूरी है| और जितना धूप होगा उतना कोरोना वायरस कम होता जायेगा|
निशा जगत, कक्षा -5
Date – 5.5.2020
पाकिस्तान में बहुत लड़ाई हो रही है| और मोदी सरकार कहती है कि लोग अलग अलग वायरस फैला रहे हैं| लोग बोलते हैं कि बाहर जाते हो तो साबुन से रगड़ रगड़ के हाथ धोएं| अपने कपड़े उतार कर धोएं|
लॉक डाउन हो गया तो पुरे शहर की सड़कें सुनसान हो गयी| जगह जगह पुलिस वाले होते हैं जहाँ जाओ वहीँ हैं| हमारे शबरी नगर में जब भी भीड़ रहता है तो पुलिस वाले आ जाते हैं सब भाग जाते हैं तो पुलिस वाले चले जाते हैं| सरकार कहती है की बाहर के लोग दूसरे शहर में नहीं आएं अगर आएं तो थाने में बंद कर देती है| 15 दिन तक रोज चेकअप करते हैं| कोरोना वायरस से लोगों की मौत भी हो रही है|
वायरस चीन देश ने इसलिए फैलाया है की वो ही देशों पर राज करे| ऐसा हम होने नहीं देंगे और लॉक डाउन हो भी गया है तो क्या, हम सबको राशन मिलता है| हमारे स्कूल की बड़ी मेडम हमारे लिए अनाज भेजती है | गीता दीदी और सरस्वती दीदी सबको बराबर बांटती है|
निशा जगत, कक्षा -5
Date – 6.5.2020
मैं सोचती हूँ की सब खुल जाएँ और कारोन वारस खत्म हो जाये ताकि मैं स्कूल में जरुर पढ़ सकूँ| क्योंकि घर पर रहो तो घर का पूरा काम करो उससे अच्छा है कि स्कूल जाकर पढ़ाई करे| जब से कोरोना वायरस हुआ है तब से बच्चों को और बूढ़े और बूढी को बहार निकलन मना है| कहीं भी जाने का मन हुआ है तो छत पर जाओ एक दुसरे को मत छुओ और हम भी किसी को नहीं छूते हैं| मुझे मेरा गुरुकुल बहुत याद आ रहा है मन करता है कि वहां पर जाऊं पर वहाँ पा भी कोई नहीं है | और क्या करुंगी अकेली | अकेली जाऊँगी भी तो कैसे जाऊँगी, बहुत दूर है हमारा विद्यालय|
न जाने कब कोरोना वायरस खत्म होगा| कब स्कूल जायेंगे कब हम मन से पढाई करेंगे| मैंने समाचार में सुना है कि जब कोरोना ख़त्म हो जायेगा तब चीन के मुख्यमंत्री को हटाया जायेगा | क्योंकि वो उस दुनिया के मुख्यमंत्री हैं| उनको बोलना चाहिए कि वो दवा सब देश वालों को बता दें पर वो उनसे नहीं बोलते हैं| चीन वालों ने कोरोना वायरस को फैला दिया इसलिए उस देश से नफ़रत करते हैं| और लोग कहते हैं जितने लोगों की मौत हो गई उतना हम भी बदला लेंगे| डॉक्टर भी दावा बनाने की बहुत कोशिश करते हैं| कई लोग कोरोना वायरस से बच जाते हैं और कई लोगों की मौत हो जाती है| मैं भगवान से प्रार्थना करुँगी जल्दी कोरोना वायरस ख़त्म हो जाये|
निशा जगत, कक्षा -5
Date – 8.5.2020
अभी और लॉक डाउन हो गया है| मैं खेल नहीं पाती हूँ न अच्छे से घूम पाती हूँ| इसलिए तो मैं घर पर रहती हूँ| अभी हमारे लिए बहार निकलन मुश्किल है| मैं तो थोड़ा टाइम बाहर जाती हूँ जैसे कि सुबह से लेकर शाम तक नहीं जाउंगी फिर 7 बजे रात को निकलती हूँ| लोग अपना ठीक से काम भी नहीं करते और पूरी दुनिया में दूकान बड़े बड़े स्टोर सब बंद हो गए हैं | दो तीन डॉक्टर खुले हैं और मेडिकल भी खुले हैं|
हमारी बस्ती से कोई कोई सब्जी फल बेचते हैं| पर कहीं और बेचने के लिए नहीं जाते | बस यहीं बस्ती के आस पास बेचते हैं| जब से लॉक डाउन हुआ है तब से मैं अपनी किताब पेंसिल कॉपी निकाल कर पढ़ती हूँ और लिखती हूँ| और डॉली दीदी भी हंमें वर्कशीट देती है| हम उसे भी पूरा करके दे देते हैं| गीता दीदी ने एक छोटी सी डायरी हमें लिखने को दी है कि लॉक डाउन में तुम्हे कैसा फील हो रहा है लिखना है| वो सब मैं लिख रही हूँ| और मैं इंग्लिश का भी पढ़ी हूँ, पर्यावरण, गणित और हिंदी भी|
हमारे पेपर होने वाले थे उतने में सुनाई दिया की लॉक डाउन हो गया| फिर उस दिन से छुट्टी लग गई| जब छुट्टी होती है तब स्कूल जाने का मन करता है और जब स्कूल होता है तो स्कूल जाने का मन नहीं करता |अभी लॉक डाउन हुआ है स्कूल जाने का मन कर रहा है|
कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहने और साबुन से बार बार हाथ धोएं| घर को साफ सुथरा रखें और खुद को साफ रखें| इस लॉक डाउन के चक्कर में मेरे दोस्त मुझसे दूर हो गए| मुझे सबसे ज्यादा मेघा और महक की याद आ रही है|
जैसे ही कोरोना वायरस ख़त्म होगा मैं गगा नगर अपने दोस्तों से मिलने चली जाऊँगी, पता नहीं मेरे दोस्त किस हालत में होंगे|
निशा जगत, कक्षा -5
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