जब पूरा शहर, राज्य व तमाम बाज़ार लॉकडाउन के चलते बंद हैं- ऐसी स्थिति में कई राज्यों में शराब की दुकानें खोल दी गई हैं| शराब की दुकाने खुल रहीं हैं सुकर सबसे ज्यादा चिंतित महिलाएं नज़र आईं। भोपाल बस्ती निवासी मीना ने कहा, शराब की दुकाने नहीं मुसीबतों का पिटारा खुल गया है| देश करोना की लड़ाई मै चार कदम पीछे चला गया है। महिलाओं के साथ-साथ बच्चे भी शराब का सुनकर अधिक चिंतित हो गये हैं, school व खेलने कूदने वाले, किशोर बालक बालिकाएं सभी इस समय घर में हैं| कॉलोनी, बस्तियों में बच्चे शराब से घर में होने वाले झगड़े महिलाओं पर हिंसा और पैसे की तंगी में पिता की शराब के लिए पैसों पर होने वाले झगड़ों को बखूबी समझते हैं| अभी जब दूसरे शहरों से शराब बिकने की ख़बरें आना शुरू हुई तो बच्चों के भी फ़ोन आने शुरू हुए।
रानी नाम की युवा का कहना है “अभी तक राशन के लिए परेशान हो रहे हैं, अब घर के आदमियों के लिए दारु के पैसे मांगने के लिए भीख मांगने जाएँगे क्या? मेरे जीजा, पिता दोनों को रोज शराब लगती है| जबसे बंद है तो चुपचाप बैठे हैं| घर में गाली गिलौच नहीं हो रही थी|”
शबनम- “हम लोग अपनी भूख प्यास में चिल्लाते नहीं हैं, रोटी नहीं है ये बात दबा लेते हैं| दारु बिक रही है और मेरे पापा पिए नहीं ये नहीं हो सकता| दारु के लिए ग़दर कर के पैसा मांगेगा|”
भगवती- “एक दूसरे से लेकर आटे, दाल का इन्तिज़ाम कर रहे हैं| शराब बिकने लग गई तो उसके लिए, शराब पैसे कहाँ से लाके देंगे|”
मीना, दूसरी जगह शराब की दूकान पे लाइनें लग रहीं हैं बाई बड़ी, लोग कह रहे हैं कि राशन मांग मांग खा रहे है, दारू के पैसे सबके पास से निकल आये। परन्तु इस पर कोई चिंता नहीं जताई गई कि यह पैसे किस प्रकार हिंसा से, घर की ज़रूरी सामान बेचकर,लाए जा रहे हैं|
महिलाओं एवं बच्चों में शराब की दूकान खुलने का सुनकर बहुर बेचैनी बढ़ गई है| बस्तियों में लोगों का कहना है| भोपाल में शराब नहीं बिकनी चाहिए| और यदि शहर के आस पास भी बिकी तो ऊँचे दामों पर पहुँचेगी पर शराब भोपाल में भी सप्लाई होने लग जाएगी|
शराब की दुकानें न खुलने पर जोर देते हुए, भोपाल के उलेमा हाजी मो. हारून ने भी मध्यप्रदेश सरकार से गुहार लगते हुए कहा कि चाहे, हम हम जनता पर दूसरी चीज़ों में टेक्स बढाकर लगा दीजिए| शराब से सरकार को होने वाला मुनाफा वह किसी और प्रकार से हम लोगों से कम ले सरकार लेकिन शराब न बेचे| इस लॉकडाउन में महिलाओं पर हिंसा अत्याचार बढ़ जाएंगे| बड़े पैमाने पर अपराध बढ़ सकते हैं| दूसरे शहरों राज्यों की हालत देख भोपाल के लोगों ख़ासतौर पर शराब से प्रभावित परिवारों में बहुत चिंता बढ़ गई है| वे सब मध्यप्रदेश सरकार से गुहार लगाना चाहते हैं कि भोपाल मध्यप्रदेश में शराब बेचने की अनुमति इस लॉकडाउन तक तो न दी जाए|
गरीब व वंचित बस्तियों, कॉलोनियों से जिस प्रकार भीड़ उमड़ी है शराब की दुकानों पर ऐसे में कोरोनावायरस से ज्यादा प्रभावित होने वाली स्थिति पैदा हो सकती है जिससे आने वाले समय के लिए कई गुना बदतर परिस्थितियाँ खड़ी होने को अग्रसर हैं| शराब की दुकानें वजह से महिलाओं पर अत्याचार और हत्या कि खबरें आना शुरू हो गई हैं, ये शराब सबसे ज़्यादा नुकसान महिलाओं को पहुंचाएगी।
यह अच्छा प्रयास हो सकता था देश में नशे में लिप्त लोगों की शराब की आदत को खत्म करने का| सुहैल ने बताया “ऐसा पहली बार ही हुआ है कि पापा ने इतने दिन शराब नहीं पी और घर में, मारपीट झगडा नहीं हुआ| इस लॉकडाउन की बहुत मुश्किलें हैं| पर शराब पीने वाले इतने दिन से सब्र से हैं|” 45 दिन शराब न पीकर बड़ी संख्या में जनता ने बता दिया कि वो बिना शराब के जिंदा रह सकते हैं।
लेकिन ठेके खोल कर यह स्पष्ट कर दिया कि बस्तियों में रहने वाले, और दिहाड़ी मजदूरों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा शराब में जा रहा है| और आर्थिक रूप से कमज़ोरी को दूर करने के लिए अतिआवश्यक है, शराब का बेचे जाना| और भी कई सवाल उमड़ रहे हैं, कि क्या शराब व्यापारियों के दवाब में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई| या राजनैतिक रूप से शराब व्यापारियों को फायदा पहुँचाया जा रहा है? यदि ऐसा है तो देश में कैसे हम नशा मुक्ति के अभियानों से बदलाव की अपेक्षा कर सकते हैं? सोशल डिस्टेंस धारा 144 का क्या हुआ ? क्या अब कोरोना नही फ़ैलेगा ?
सरकार को लगता है कि परिवार के सदस्य भले भूख से मर जाएँ पर देश की अर्थव्यवस्था सुधरनी चाहिए| हमें यह समझना ही होगा कि शराब बेचने से देश की अर्थव्यवस्था भले ही सुधर जाए, परन्तु अधिकाँश घरों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर जाएगी। चाहे वह कोरोना की महामारी के रूप में हो या महिलाओं के साथ घरेलु हिंसा के मामले हों, इसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ेगा|
शराब की दुकाने खोलने के निर्णय, हर लिहाज से देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है| यह फैसला बहुत निंदनीय है|
– शराब की दुकान खुलने की सूचना से ही शराबियों का उत्पात भी शुरू हो गया है। जौनपुर में एक शराबी पति ने शराब खरीदने के लिए पत्नी से रुपये मांगे। पैसे देने से इनकार करने पर 25 वर्षीय पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। चार साल के बेटे के सामने ही गर्भवती पत्नी को मौत के घाट उतार कर पति फरार हो गया। कुछ घंटे बाद ही पति को गिरफ्तार कर लिया गया। घटना सरपतहां क्षेत्र के भटौली गांव में हुई
– बंगलूर मे शराब की दुकानो पर 4-4 किलोमीटर लम्बी लाईनें लग गई हैं| ऐसे में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए तय की जा रही दूरी का क्या होगा?
– 24 घंटों के भीतर ही कोरोनावायरस से प्रभावित 3900 नए केस सामने आए, 123 लोगों की मौत हो चुकी ही|
– कई जगह शराब की दुकानों पर लाठी चार्ज। इस स्थिति के लिये कौन ज़िम्मेदार?
– मात्र एक ही दिन में, लखनऊ में 6 करोड़ की शराब बिकी और कानपुर में 4.25 करोड़ शराब बिकी| अर्थव्यस्था शायद फायदे में जाए| परन्तु लॉकडाउन के खुलते ही| मध्यमवर्गीय परिवारों को भी बच्चों के स्चूलों का सिर्फ मुह देखना पड़ेगा| स्वस्थ, शिक्षा, खान पान मूलभूत ज़रूरतों के लिए भी लोगों के हाथ में पैसा नहीं बचा रहने वाला है| पारिवारिक विवादों में तेजी आएगी वो अलग|
लेखा: सबा खान
सबा विभिन्न समूहों और व्यक्तिगत हैसियत में कोविड के राहत कार्य में जुटी हैं| Email: sabakhansaba786@gmail.com
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