पायल खो गई

पायल खो गई

शेफाली जैन मटमैली  धूप,  काई-से  रंग  का आसमान और उसके नीचे काई रंग का ही तालाब, सीमेंट और धूल से रंगे चिथड़े, चिन्दियाँ और बच्चे! क्या यह रंग किसी कलर के डब्बे में मिलेंगे? क्या यह रंग किसी ऐसी किताब में मिलेंगे जो खासकर बच्चों के लिए बनाई गई हो? […]

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इंग्लिश रीडर किन मानकों पर है खरी

इंग्लिश रीडर किन मानकों पर है खरी

लेखक:   शिवानी तनेजा अनुवाद: अचलेश शर्मा पाठ्य पुस्तक समीक्षा वर्तमान शिक्षा प्रणाली, यहाँ तक कि प्राथमिक कक्षाओं में भी, पुस्तकों पर आधारित परीक्षा पद्धति द्वारा एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पाठ्यक्रम को ‘निपटा’ दिए जाने को ध्यान में रखकर संचालित होती है। चाहे प्राइवेट स्कूल हों या सरकारी […]

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सफरनामा: एक बाल अखबार का

सफरनामा: एक बाल अखबार का

By महेश झरबड़े नवीन हाईस्कूल 25वीं बटालियन,भोपाल में प्राथमिक शाला के बच्चों के साथ काम करते, इधर-उधर की बातचीत सुनते-सुनाते, बच्चों के साथ अलग-अलग पालकों से मिलते-मिलाते दो माह बीत चुके थे। इस दौर में मेरी बच्चों से अच्छी खासी दोस्ती हो चुकी थी। दरअसल, बच्चों के साथ घूमते हुए […]

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बच्चों के नाम भी हैं रोचक टीएलएम

बच्चों के नाम भी हैं रोचक टीएलएम

By महेश झरबड़े जन शिक्षा केन्द्र सूखीसेवनियाँ के साथ मिलकर काम करने की वजह से मेरा क्लस्टर की शासकीय शालाओं में अक्सर आना-जाना होता रहता है। इसके चलते शाला शिक्षकों और बच्चों के साथ मेरा अच्छा तालमेल बन गया है। काफी दिनों से मैं किसी एक स्कूल में पहली, दूसरी […]

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बहुभाषीय कक्षा में व्याकरण के नियमों को ढूँढ़ना

बहुभाषीय कक्षा में व्याकरण के नियमों को ढूँढ़ना

By सविता सोहित व शिवानी तनेजा इस लेख के ज़रिए हम कक्षा में बच्चों की प्रथम भाषा को एक संसाधन के रूप में इस्तेमाल कर व्याकरण के नियमों को ढूँढ़ने के अनुभवों को साझा कर रहे हैं। सविता ने कक्षा में बच्चों की सक्रिय भागीदारी को यहाँ विस्तार से प्रदर्शित […]

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चलते-चलते

चलते-चलते

By कमल किशोर मालवीय भाषा को शब्द उसके परिवेश और वातावरण से मिलते हैं। जब कभी बात उदाहरण की आती है तो भले ही भाषा की कक्षा हो, आसपास के शब्द ही सबसे पहले दिमाग में चले आते हैं। कई सालों से मुस्कान संस्था के भोपाल स्थित बंजारी बस्ती सेंटर […]

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गोलू ने पढ़ना सीखा

गोलू ने पढ़ना सीखा

By ब्रजेश वर्मा पढ़ना  सीखने   की   प्रक्रिया   में एक  निर्णायक  और  अत्यन्त महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब बच्चे के सामने यह रहस्य खुल जाता है कि शब्द कुछ आवाज़ों, अक्षरों का मेल हैं जिन्हें क्रम से उच्चारित करना होता है। और इन आवाज़ों का क्रम बदलकर अनेक शब्द बनाए […]

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छह साल की छोकरी

छह साल की छोकरी

By कमल किशोर मालवीय भाषा की जादुई दुनिया में प्रवेश करते ही बच्चों का तरह-तरह के शब्दों से खेलना शुरु हो जाता है। दुनिया का कौन-सा ऐसा बच्चा होगा जिसने अपने बचपन में शब्दों को उलट-पलटकर मज़ा नहीं लिया होगा। बच्चों का कविता से सम्पर्क बचपन से ही शुरु हो […]

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बच्चों के बीच अखबार के साथ कुछ गतिविधियाँ

बच्चों के बीच अखबार के साथ कुछ गतिविधियाँ

By महेश झरबड़े आज से कुछ साल पहले जब मैंने सूखीसेवनियाँ स्थित एक स्कूल में काम करना शुरू किया तो उन दिनों पुस्तकालय में अखबार नहीं आता था। ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण समाचार पत्र जैसी सुविधा कुछ गिने-चुने परिवारों में ही थी पर बच्चों की पहूँच तो अखबार तक […]

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