By लक्ष्मी यादव डायरी श्याम नगर बस्ती में आदिवासी ओझा गोंड समुदाय के लोग रहते हैंे। ये कई साल पहले, श्याम नगर बस्ती आबाद होने से पूर्व यहाँ आए थे। ये लोग काम की तलाश में उज्जैन के गाँव व जंगलों से यहाँ आए थे। पहले जहाँ इन्हें काम मिलता […]
बाज़ार और बच्चों का सीखना
By रुबीना खान अक्सर यह कहा जाता है कि स्कूल और घर वे जगह हैं जहाँ बच्चे सबसे ज़्यादा सीखते हैं। पढ़ाई-लिखाई, लेन-देन, लोक-व्यवहार और ज़िन्दगी के तौर-तरीके सिखाने वाली जगहों के रूप में भी इन्हीं संस्थाओं का परचम लहराता है। इसके परे, स्कूल नहीं जाने वाले या कभी-कभी स्कूल […]
स्कूल को बच्चों के अनुरूप ढालने का एक उदाहरण
By ब्रजेश और सविता सोहित मुस्कान एक गैर सरका री संस्था है जो ‘जीवन शिक्षा पहल’ नामक एक नवाचारी स्कू ल का संचालन कर रही है। यह स्कू ल उन बच्चों के लि ए संचालि त कि या जा रहा है जो विभ िन्न सामाजिक व राजनैतिक का रणों से […]
शिक्षा का उद्देश्य
लेखक: शिवानी तनेजा अनुवाद: भरत त्रिपाठी शहरी वंचित समुदायों के सन्दर्भ में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के मुताबिक, शिक्षा के व्यापक लक्ष्य हैं — बच्चों के भीतर विचार और कर्म की स्वतंत्रता विकसित करना, दूसरों के कल्याण और उनकी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना…आदि आदि। अब तक […]
Derogation & Isolation: Dalit Students Remain Marginalised Across India
In the midst of ongoing talk about big overhauls, we need to urgently examine what it is we refer to as ‘education’.
रीड अलाउड से पढ़ने की ओर
By नीतू यादव लायब्रेरी एजुकेटर कोर्स (एल.ई.सी. 2017) के दौरान मैंने पढ़ने से जुड़ी गतिविधियों के बारे में कई लेख पढ़े जिससे बच्चों में किस प्रकार पढ़ने की क्षमता विकसित होती है, इस विषय पर मेरी समझ काफी मज़बूत हुई। सुजाताजी के आलेख पठन से पाठक का विकास में वे […]
पुस्तकालय में डिस्प्ले का महत्व
By नीतू यादव हमारा पुस्तकालय गौरा गाँव में एक छोटे-से कमरे में संचालित होता है। यह ढेर सारी किताबों और डिज़ाइनर सूचना पटलों से लैस तो नहीं है, पर हमारी कोशिश होती है कि हम एक पुस्तकालय के लिए ज़रूरी सभी सामग्री इस छोटे-से पुस्तकालय में ला पाएँ। हमारे पुस्तकालय […]
एक कहानी कई विचार
By नीतू यादव हम देखते हैं कि विभिन्न आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के बच्चों के आपस में खेलने की जगहों, बाज़ारों और रहने की जगहों, और तो और, स्कूलों में भी ऐसा विभाजन है कि इन बच्चों के बीच मेलमिलाप के मौके ही नहीं बनते| इस स्थिति के चलते विचारों […]
जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ
By Brajesh Verma हम देखते हैं कि हमारा समाज वर्ग, वर्ण और जेंडर के आधार पर पूरी तरह से बँटा हुआ है और समाज में इन अलग-अलग वर्गों के आपसी मेल-मि लाप का कोई ज़रि या भी नहीं है। इसलि ए लोग एक-दूसरे के बारे में जान ही नहीं पाते| […]
Stories for a More Humane World
By Shivani Taneja and Ragini Lalit We live in a country where too many of children’s realities include not having money to buy what they need, walking long distances to collect firewood, going out to fish for their evening meal, or not having a dry corner to sleep or sit […]