By ब्रजेश वर्मा पढ़ना सीखने की प्रक्रिया में एक निर्णायक और अत्यन्त महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब बच्चे के सामने यह रहस्य खुल जाता है कि शब्द कुछ आवाज़ों, अक्षरों का मेल हैं जिन्हें क्रम से उच्चारित करना होता है। और इन आवाज़ों का क्रम बदलकर अनेक शब्द बनाए […]
स्कूल को बच्चों के अनुरूप ढालने का एक उदाहरण
By ब्रजेश और सविता सोहित मुस्कान एक गैर सरका री संस्था है जो ‘जीवन शिक्षा पहल’ नामक एक नवाचारी स्कू ल का संचालन कर रही है। यह स्कू ल उन बच्चों के लि ए संचालि त कि या जा रहा है जो विभ िन्न सामाजिक व राजनैतिक का रणों से […]
जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ
By Brajesh Verma हम देखते हैं कि हमारा समाज वर्ग, वर्ण और जेंडर के आधार पर पूरी तरह से बँटा हुआ है और समाज में इन अलग-अलग वर्गों के आपसी मेल-मि लाप का कोई ज़रि या भी नहीं है। इसलि ए लोग एक-दूसरे के बारे में जान ही नहीं पाते| […]
हमेशा से ही एक ‘कम’ नागरिक
By Brajesh Verma गाँधी नगर में एअरपोर्ट के पास एक खेत में घुमुन्तु एवं विमुक्त जनजाति के कुचबंदिया समुदाय के लगभग 60 परिवार अपनी झुग्गी बनाकर रह रहे है| डेरे में लगभग 400 लोग हैं| इनके डेरे में बच्चे और बुजुर्ग महिलाऐं भी हैं| ये समुदाय जिला शिवपुरी, मध्यप्रदेश और […]